नोट : यह मूल ब्लॉग " अनंत अपार असीम आकाश" की मात्र प्रतिलिपि है, जिसका यू.आर.एल. निम्न है:-
आपके परिचर्चा,प्रतिक्रिया एवं टिप्पणी हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से प्रस्तुत है-
कोई बात है यारों ।
नदी की धार में बहना , बहुत आसान है यारों ।
तैर पाओ अगर विपरीत , तो कोई बात है यारों ।
बनाना नित नये रिश्ते , बहुत आसान है यारों ।
निभा पाओ कठिन क्षण में , तो कोई बात है यारों ।
बादलों की घटा बनना , बहुत आसान है यारों ।
बरस पाओ अगर मरू में , तो कोई बात है यारों ।
सिखाना औरों को बातें , बहुत आसान है यारों ।
कदम अपने उठाओ जब , तो कोई बात है यारों ।
हवा के पुल बनाना तो , बहुत आसान है यारों ।
हकीकत को समझ पाओ , तो कोई बात है यारों ।
मुझसे मिलना मेरे घर पर , बहुत आसान है यारों ।
मुझे घर अपने बुलाओ जब , तो कोई बात है यारों ।
Thursday, September 16, 2010 | Labels: अनंत अपार असीम आकाश : http://vivekmishra001.blogspot.com, दर्शन, मेरी कविताएँ |
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- आइये अभिवादन करें
- सबके अपने अपने ईश्वर , जाने कितने जग के ईश्वर ?
- इस १००वे पोस्ट पर आप सभी से पुन: अनुरोध है..
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- नियति निगोड़ी
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- कोई बात है यारों ।
अनुरोध
शब्दों पर ना जाये मेरे,बस भावों पर ही ध्यान दें।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,उसे भूल समझकर टाल दें।
खोजें नहीं मुझे शब्दों में,मै शब्दों में नहीं रहता हूँ।
जो कुछ भी मै लिखता हूँ, अपनी जबानी कहता हूँ।
ये प्रेम-विरह की साँसे हो,या छल और कपट की बातें हो।
सब राग-रंग और भेष तेरे,बस शब्द लिखे मेरे अपने है।
तुम चाहो समझो इसे हकीकत,या समझो तुम इसे फँसाना।
मुझको तो जो लिखना था, मै लिखकर यारो हुआ बेगाना।
विवेक मिश्र 'अनंत'
लेखा बही
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1 comments:
क्या हौसला है! .......बहुत सुन्दर...
http://sharmakailashc.blogspot.com/
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