नोट : यह मूल ब्लॉग " अनंत अपार असीम आकाश" की मात्र प्रतिलिपि है, जिसका यू.आर.एल. निम्न है:-
आपके परिचर्चा,प्रतिक्रिया एवं टिप्पणी हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से प्रस्तुत है-
अल्ला हो अकबर - जय श्रीराम ।
Sep
15
नफरत के जब बीज बो रहे , धर्म ध्वजा के लम्बरदार ।
प्रेम अहिंसा भाईचारा , कैसे बचायेंगे भगवान हर बार ।
रघुपति राघव राजा राम , जोर से बोलो जय श्रीराम ।
मंदिर वहीँ बनायेगे , चाहे देश में दंगा करवाएंगे ।
बच्चा बच्चा राम का , जन्मभूमि के काम का ।
सुलह नहीं हो पायेगी , रथ यात्रा फिर से आएगी ।
ये तो केवल झांकी है , अभी पूरा नाटक बाकी है ।
याचना नहीं अब रण होगा , संघर्ष बड़ा भीषण होगा ।
नीव खोद हम डालेंगे , मंदिर अवशेष निकालेंगे ।
सपथ तुम्हे श्रीराम की , अबकी बारी राम की ।
जन्म भूमि के काम ना आये , वो बेकार जवानी है ।
रक्त ना खौले इस पर भी, वो रक्त नहीं बस पानी है ।
राम लला हम आयेंगे , ढांचा सभी ढहायेंगे ।
मंदिर अबकी बनायेंगे , हम धर्म ध्वजा फहराएंगे ।
जो न्याय नहीं कर पाएंगे , हम उनको सबक सिखायेंगे ।
इतिहास के काले पन्नों को , हम केसरिया कर जायेंगे ।
तेरे नाम पर अपनी रोटी , सेंक सदा हम खायेंगे ।
भारत वर्ष को कैसे भी हम , हिन्दू राष्ट्र बनायेंगे ।
बस ख़बरदार...........!!
अल्ला हो अकबर-अल्ला हो अकबर ,इस्लाम के काम हम आयेंगे ।फतवा जारी करो इमाम , लड़ने हम सब जायेंगे ।नमाज भले ना पढ़ पावे , हम मस्जिद वहीँ बनायेगे ।आक्रमणकारी बाबर के , नाम को सदा बचायेंगे ।क्या है साक्ष्य राम थे जन्मे , भारत वर्ष की भूमि में ।हाँ बाबर निश्चित आया था , चढ़ भारत वर्ष के सीने पे ।मंदिर बन गया अगर वहां , इस्लाम खतरे में पड़ जायेगा ।हम मर कर जन्नत जायेंगे , जिहाद के काम जो आयेंगे ।अगर बनी ना मस्जिद अपनी , खून खराबा हो जायेगा ।कश्मीर से लेकर केरल तक , हर चप्पा-चप्पा थर्रायेगा ।हमें ना समझो तुम कमजोर , पडोसी भाई भी आएगा ।जो हमसे टकराएगा , वो दोजख में जायेगा ।हँस कर लिया था पाकिस्तान , लड़ कर लेंगे हिंदुस्तान ।घास फूस जो खायेगा , वो क्या हमसे लड़ पायेगा ।ये कैसे हो सकता है , सुलह करें हम काफ़िर से ।कैसे माने उसे फैसला , जो ना हो मन माफिक से ।
प्रेम अहिंसा भाईचारा , कैसे बचायेंगे पैगम्बर ।
नफरत के जब बीज बो रहे , सब धर्मो के आडम्बर ।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG
Wednesday, September 15, 2010 | Labels: अनंत अपार असीम आकाश : http://vivekmishra001.blogspot.com, कटाक्ष, प्रश्नकाल, मेरी कविताएँ, राजनीत, व्यंग बाण |
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- आइये अभिवादन करें
- सबके अपने अपने ईश्वर , जाने कितने जग के ईश्वर ?
- इस १००वे पोस्ट पर आप सभी से पुन: अनुरोध है..
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अनुरोध
शब्दों पर ना जाये मेरे,बस भावों पर ही ध्यान दें।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,उसे भूल समझकर टाल दें।
खोजें नहीं मुझे शब्दों में,मै शब्दों में नहीं रहता हूँ।
जो कुछ भी मै लिखता हूँ, अपनी जबानी कहता हूँ।
ये प्रेम-विरह की साँसे हो,या छल और कपट की बातें हो।
सब राग-रंग और भेष तेरे,बस शब्द लिखे मेरे अपने है।
तुम चाहो समझो इसे हकीकत,या समझो तुम इसे फँसाना।
मुझको तो जो लिखना था, मै लिखकर यारो हुआ बेगाना।
विवेक मिश्र 'अनंत'
लेखा बही
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8 comments:
बड़े तीखे तीर हैं...वाह!
क्या ग़ज़ब लिखा है आपे है आपने .....बिल्कुल नआईइ सोच .....सुंदर
अदालत के फैसले का सभी को सम्मान करना होगा... दोनों ही पक्ष चाहेंगे कि फैसला उनकी तरफ गिरे... मगर संयम बरतना होगा... अदालत सर्वोपरि है....
बड़े तीखे स्वर हैं पर अच्छा लिखा है
स्वागत है आप सभी का
आपने सही कहा कि स्वर बहुत ही तीखे है ......
वास्तव में मैंने पहले केवल पहला पार्ट "जय श्री राम" ही लिखा था और सोंचा था कि इसे ब्लॉग पर नहीं पोस्ट करूँगा.....
मगर फिर सोंचा कि जब इसे लिखा है तो ब्लॉग पर भी पोस्ट करू, जिसके कारण मैंने फिर से दूसरा पार्ट "अल्ला हो अकबर" भी बैलेंस करने के लिए लिखा....
पर क्या करे..........अपने विचारो को व्यक्त करते समय स्वभावगत रूप से बस अपने भावों पर ही ध्यान देता हूँ जिसके कारण कभी कभी शब्द तीखे हो जाते है और अपने लोग भी आहात हो जाते है जिसका बाद में मुझे भी अफसोस होता है पर क्या करे ............मै कुछ नहीं करता हूँ जो होता है वो ईश्वर के हाथ में है .
kavitaayen sampurn rup se sarrahniya hai.....
हैरत है देखकर , कितना भीरु समाज है ।
धर्म के नाम पर , लड़ रहा वो आज है ।
तुम भले कहो इसे , ये नयी बात नहीं ।
धर्म है अगर कई , संघर्ष नयी बात नहीं..........
एतिहासिक घृणा
बचपन की कहानियों में , और जंतु बिज्ञान की किताबों में ।
इस बात का जिक्र होता है , आदमी का जानवरों से पुराना रिश्ता है ।
थे आदम के पुरखे जो , चार पैरों पर चलते थे ।
नोंच कर वो औरों को , अपना पेट भरते थे ।................
Aapke Lekh Aur Kavitaye Maan ko bhane wali hain........
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