नोट : यह मूल ब्लॉग " अनंत अपार असीम आकाश" की मात्र प्रतिलिपि है, जिसका यू.आर.एल. निम्न है:-
आपके परिचर्चा,प्रतिक्रिया एवं टिप्पणी हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से प्रस्तुत है-
जीवन बस एक मस्ती है...
डगमगा गए कदमों को,
सम्भाल लेना जिंदगी है ।
टूटती सांसों को फिर,
जोड़ लेना जिंदगी है ।
जिंदगी जिन्दादिली है,
इसे आंसुवो में ना डुबोना ।
हो बुरा चाहे वक्त कितना,
आस को थामे तुम रखना ।वो इन्सान क्या जिसके कदम,
बंहके नहीं दीवानगी में ।
गलतियाँ उससे ना हो,
भटके नहीं आवारगी में ।
होश जो खोये नहीं,
रूप की मदहोसियों में ।
जाम लबों तक जाकर,
छलकाए ना बेहोशियों में ।हर वक्त नहीं सिथिर रहता,
हालात बदलते रहते हैं ।
हर एक कदम जो उठते हैं,
दूरी वो घटाते रहते हैं ।
जो बिगड़ गया उस पर रोना,
है नहीं उचित इंसानों को ।
थक कर मंजिल से पीछे हटाना,
है उचित नहीं मस्तानों को ।
Thursday, August 26, 2010
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अनुरोध
शब्दों पर ना जाये मेरे,बस भावों पर ही ध्यान दें।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,उसे भूल समझकर टाल दें।
खोजें नहीं मुझे शब्दों में,मै शब्दों में नहीं रहता हूँ।
जो कुछ भी मै लिखता हूँ, अपनी जबानी कहता हूँ।
ये प्रेम-विरह की साँसे हो,या छल और कपट की बातें हो।
सब राग-रंग और भेष तेरे,बस शब्द लिखे मेरे अपने है।
तुम चाहो समझो इसे हकीकत,या समझो तुम इसे फँसाना।
मुझको तो जो लिखना था, मै लिखकर यारो हुआ बेगाना।
विवेक मिश्र 'अनंत'
4 comments:
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मेरा कहना है : हर वक्त नहीं सिथिर रहता ..... हालात बदलते रहते हैं.
आपने सही कहा दीपक बाबा
आपके अनुसार पोस्ट संशोधित कर दी... पुन: स्वागत ही आपका ।
बहुत खूब विवेक भाई!
ज़िंदगी रहती नहीं सदा एक सी,
रहना हर मंजर के लिए तैयार चाहिए।
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