नोट : यह मूल ब्लॉग " अनंत अपार असीम आकाश" की मात्र प्रतिलिपि है, जिसका यू.आर.एल. निम्न है:-
आपके परिचर्चा,प्रतिक्रिया एवं टिप्पणी हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से प्रस्तुत है-
अंधेर नगरी
मित्रों,
बचपन में दादा जी के मुह से सुना था " अंधेर नगरी चौपट राजा, सवा सेर भाजी सवा सेर खाझा " पर क्या ये बात सिर्फ कहानियों तक ही सीमित है ? शायद नहीं , तो सुने .............
चाटुकारिता वहां पनपती,अंधकार का राज जहाँ हो,
आडम्बर पलता बढता है।
मात्र दिखावा करने से ही,
जीवन यापन चलता है।
सच का होता मूल्य नहीं,
ना कोई पारखी होता है।
कोरे होते सिद्धांत सभी ,
आदर्श खोखला होता है।
नव पथ का होता श्रजन नहीं,
गणेश परिक्रमा होता है।
सच को झूंठ ,झूंठ को सच,
मनमाना निर्णय होता है।।
3TW9SM3NGHMGतृप्त अहम् को मिलता है।
अपना हिस्सा पाने को,
बस गुप्त होड़ तब चलता है ।
आम को आम नहीं कहकर,
जग उसको इमली कहता है।
कुत्ते के पिल्लों को जग,
जंगल का राजा कहता है।
ऐसे चौपट राजा का ,
राज जहाँ भी चलता है।
वह राज्य छोड़ कर दूर कहीं,
बंजर में रहना अच्छा है।
Friday, July 30, 2010
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अनुरोध
शब्दों पर ना जाये मेरे,बस भावों पर ही ध्यान दें।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,उसे भूल समझकर टाल दें।
खोजें नहीं मुझे शब्दों में,मै शब्दों में नहीं रहता हूँ।
जो कुछ भी मै लिखता हूँ, अपनी जबानी कहता हूँ।
ये प्रेम-विरह की साँसे हो,या छल और कपट की बातें हो।
सब राग-रंग और भेष तेरे,बस शब्द लिखे मेरे अपने है।
तुम चाहो समझो इसे हकीकत,या समझो तुम इसे फँसाना।
मुझको तो जो लिखना था, मै लिखकर यारो हुआ बेगाना।
विवेक मिश्र 'अनंत'
2 comments:
सार्थक व सराहनीय प्रस्तुती ,सत्य को उजागर करती शानदार पोस्ट ...
उत्तम: प्रयास:
शोभनं काव्यम्
ब्लाग जगत पर संस्कृत प्रशिक्षण की कक्ष्या में आपका स्वागत है ।
http://sanskrit-jeevan.blogspot.com/ पर क्लिक करके कक्ष्या में भाग ग्रहण करें ।
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