नोट : यह मूल ब्लॉग " अनंत अपार असीम आकाश" की मात्र प्रतिलिपि है, जिसका यू.आर.एल. निम्न है:-
आपके परिचर्चा,प्रतिक्रिया एवं टिप्पणी हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से प्रस्तुत है-
यहाँ कौन साथ देता है..
यहाँ कौन साथ देता है , जब वक्त बुरा होता है ।
पूंछिये उनसे जाकर , जिन पर ये गुजरता है ।
यार-दोस्त रिश्ते-नाते , संबन्धों की सब बुनियादे ।
केवल तब तक होती हैं , जब करते नहीं तुम फरियादें ।
स्वार्थ पूर्ति ना होता हो , क्यों त्यागमूर्ति वो व्यर्थ बने ।
खाली रिश्तों की खातिर , क्यों अपने को बर्बाद करें ।
जब तक होती है आशा , सम्बन्ध प्रगाढ़ बने रहते ।
फिर खंडहर होते भवनों में , केवल पशु ही रहते ।
जो आज घूमते आगे-पीछे , मिलने को व्याकुल रहते हैं ।
वो तुझसे नहीं तेरी माया से , इतने आकर्षित रहते हैं ।
तुझसे तो केवल तेरी , छाया बंध कर रहती ।
बुरे वक्त में तुमको कब , दुनियां अपना कहती है ।
Friday, September 03, 2010
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अनुरोध
शब्दों पर ना जाये मेरे,बस भावों पर ही ध्यान दें।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,उसे भूल समझकर टाल दें।
खोजें नहीं मुझे शब्दों में,मै शब्दों में नहीं रहता हूँ।
जो कुछ भी मै लिखता हूँ, अपनी जबानी कहता हूँ।
ये प्रेम-विरह की साँसे हो,या छल और कपट की बातें हो।
सब राग-रंग और भेष तेरे,बस शब्द लिखे मेरे अपने है।
तुम चाहो समझो इसे हकीकत,या समझो तुम इसे फँसाना।
मुझको तो जो लिखना था, मै लिखकर यारो हुआ बेगाना।
विवेक मिश्र 'अनंत'
1 comments:
सटीक अभिव्यक्ति .
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