नोट : यह मूल ब्लॉग " अनंत अपार असीम आकाश" की मात्र प्रतिलिपि है, जिसका यू.आर.एल. निम्न है:-
आपके परिचर्चा,प्रतिक्रिया एवं टिप्पणी हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से प्रस्तुत है-
पांडव बन कर रहें....
दोस्तों यदि आपको अपने जीवन में सफल होना है तो आपको पांडव बनना होगा अर्थात :-
- युधिष्ठिर :- युद्ध में स्थिर रहने वाला धर्म ,विवेक , बैराग्य।
- भीम :- दृढ संकल्प, बल ।
- अर्जुन :- एकाग्रता, एकनिष्ठा ।
- नकुल :- कुलहीन ज्ञान ।
- सहदेव :- लगन (भक्ति) ।
तब"काल का चक्र जब,
रच रहा कुचक्र हो ।
और उससे बचने का ,
हो ना कोई रास्ता ।
द्वार सब बंद हो ,
और रास्ते भी तंग हों ।
बढ़ रहा कुचक्र हो ,
चल रहा नित चक्र हो ।
ध्यान रहे कि कुरुक्षेत्र की लडाई केवल द्वापर तक सीमित ना रहकर आज भी हमारे जीवन की दिन प्रतिदिन की घटना है ।बचने को काल से ,
दो ही हैं रास्ते ।
रोंक दो चक्र को ,
और तोड़ दो कुचक्र को।
या तोड़ दो चक्र को ,
और रोंक दो कुचक्र को ।
फिर ना कोई चक्र होगा ,
ना ही कुचक्र होगा ।।"
Thursday, July 29, 2010
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अनुरोध
शब्दों पर ना जाये मेरे,बस भावों पर ही ध्यान दें।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,उसे भूल समझकर टाल दें।
खोजें नहीं मुझे शब्दों में,मै शब्दों में नहीं रहता हूँ।
जो कुछ भी मै लिखता हूँ, अपनी जबानी कहता हूँ।
ये प्रेम-विरह की साँसे हो,या छल और कपट की बातें हो।
सब राग-रंग और भेष तेरे,बस शब्द लिखे मेरे अपने है।
तुम चाहो समझो इसे हकीकत,या समझो तुम इसे फँसाना।
मुझको तो जो लिखना था, मै लिखकर यारो हुआ बेगाना।
विवेक मिश्र 'अनंत'
1 comments:
कुरुक्षेत्र की लड़ाई अनवरत जारी रहेगी..जब तक इन्सान है-पापा और पुण्य-धर्म अधर्म की खींचा तानी मची रहेगी.
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