नोट : यह मूल ब्लॉग " अनंत अपार असीम आकाश" की मात्र प्रतिलिपि है, जिसका यू.आर.एल. निम्न है:-
आपके परिचर्चा,प्रतिक्रिया एवं टिप्पणी हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से प्रस्तुत है-
कल फिर.....
कल फिर तेरी याद आई , बेचैन हो गया था मन मेरा ।
कल फिर तुझसे मिलने को , तड़फ उठा था दिल मेरा ।
कल फिर तेरे ख्यालों में, मै पहुँच गया था तेरे घर तक।
कल फिर तेरे दरवाजे पर , मै रहा खड़ा कुछ देर तक ।
कल फिर दस्तक देने को , ज्यों हाथ बढ़ाने वाला था ।
कुछ बात पुरानी याद आयी , मै बाहर से ही लौट आया ।।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG
Saturday, August 07, 2010
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अनुरोध
शब्दों पर ना जाये मेरे,बस भावों पर ही ध्यान दें।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,उसे भूल समझकर टाल दें।
खोजें नहीं मुझे शब्दों में,मै शब्दों में नहीं रहता हूँ।
जो कुछ भी मै लिखता हूँ, अपनी जबानी कहता हूँ।
ये प्रेम-विरह की साँसे हो,या छल और कपट की बातें हो।
सब राग-रंग और भेष तेरे,बस शब्द लिखे मेरे अपने है।
तुम चाहो समझो इसे हकीकत,या समझो तुम इसे फँसाना।
मुझको तो जो लिखना था, मै लिखकर यारो हुआ बेगाना।
विवेक मिश्र 'अनंत'
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